तो?
जब इस बार मिलें हम तुम, कुछ अलग सा मुझको पाओ तो, हाथ पकड़ लूं मैं बढ कर, तुम मुझसे शर्मा जाओ तो? नींद नही आये पर सपनो से बोझिल होकर पलकें, मुंद जाएँ और तुम काँधे पर सर रख कर सो जाओ तो? गर साथ हो बस दो पल का और फिर जीवन भर का इंतज़ार, दो पल न बीतें कभी, समय बस वहीं कहीं रुक जाए तो? जो कहना चाहें दोनो कुछ पर बात जुबां पर ना आये, और देख हमारी दुविधा चन्दा बादल में छुप जाए तो? कभी आँख तेरी गर भर आये और मेघदूत बन कर बादल, तेरी आँखों के मोती मेरे आँगन बिखरा जाए तो?