कुछ कविताएं

अपने जीवन की उस कालावधि में जब पहली बार किसी का साथ मिला था, मैंने कुछ कविताएं लिखनी शुरू कीं थीं। आमतौर पर जैसा होता है, उनमे से कई अब काफी बचकानी लगती हैं पर कुछ अभी भी पसंद हैं। ये जानते हुए भी की अपनी रचनाओं से प्रेम करना एक लेखक के लिए काफी घातक हो सकता है, और सिर्फ इसलिए नहीं की आज की ऑलवेज कनेक्टेड दुनिया में पाठकों की मधुर और तीखी, दोनों तरह की टिप्पणियाँ, बिना किसी सूचना के आपको चित्त कर सकती हैं, मैं इस पृष्ठ पर कुछ कविताओं की सूची बना रहा हूँ। अब 'प्यार किया तो डरना क्या'. :)

रचनाक्रम में
  1. अधिकार (roman)
  2. साथी मेरे (roman)
  3. तो?
  4. उस दिल में जो है छिपा
  5. आज मैं खो जाऊं कहीं
  6. अम्बर का छोटा सा टुकड़ा
  7. साथी
  8. डरते हैं
  9. मुलाक़ात
  10. मन
  11. दो अधूरी कविताएं (२)
  12. आर्तनाद
  13. शहर के फूल 
और फिर जैसा की फैज़ साहब कहते हैं कि मुझसे पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न मांग, सरोकार थोड़े ज्यादा सामाजिक और राजनीतिक हो चले।
  1. एक नेता की व्यथा
  2. करवाचौथ
  3. मौसम
  4. काठ की हांडी
  5. क्या लिखूं?

Comments

Popular posts from this blog

बिछड़ते दोस्तों के नाम

क्या लिखूं?

To bend and not to fold