Posts

Showing posts from April, 2013

शहर के फूल

Image
छोड़ कर शाख क्यों सड़कों पे चले आते हैं, फूल मासूम हैं, नाहक ही सज़ा पाते हैं। स्याह पड़ती हुई इस शहर की बेनूर शकल, रंग दो पल को झलकते हैं, गुज़र जाते हैं। भागते दौड़ते इस शहर के कुछ वाशिंदे, साल भर फरवरी की याद में बिताते हैं। फूल इंसान की उम्मीद के सितारे हैं, आँख उठती है दुआ में, तो नज़र आते हैं। शहर के फूल अभागा बड़ी किस्मत वाले, ठोकरों से नहीं, कारों से कुचले जाते हैं।