क्या लिखूं?
छूटे कोई दीन दुखी ना, सबको करो शुमार लिखो,
दबी हुई चीखों को बुन कर, कर्कश इक ललकार लिखो।
दबी हुई चीखों को बुन कर, कर्कश इक ललकार लिखो।
धरम जो पूछे शरणागत का, जात जो पूछे साधो की,
हिंदुस्तानी दिल ऐसा भी हुआ नहीं लाचार लिखो।
हिंदुस्तानी दिल ऐसा भी हुआ नहीं लाचार लिखो।
लिखने दो उनको BSE, NSE और GDP,
तुम आम आदमी की जेबों में बची चवन्नी चार लिखो।
तुम आम आदमी की जेबों में बची चवन्नी चार लिखो।
इस शोर शराबे में सहमा सा सच जो तुमको मिल जाए,
एक बार लिखो, दस बार लिखो, तुम उसको बारम्बार लिखो।
एक बार लिखो, दस बार लिखो, तुम उसको बारम्बार लिखो।
है वक़्त अभी कुछ कहने का, है वक़्त नहीं चुप रहने का,
नफरत के तूफानों में घिरते, इंसानों को प्यार लिखो।
नफरत के तूफानों में घिरते, इंसानों को प्यार लिखो।
सुनो अभागा बदल गए हैं यहाँ मायने शब्दों के,
देशभक्त ऐसे हैं गर तो, खुद को तुम गद्दार लिखो।
देशभक्त ऐसे हैं गर तो, खुद को तुम गद्दार लिखो।
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