गणतंत्र
एक दिन गणतंत्र चला जाएगा
और रह जाएगा
सिर्फ झंडा।
हम मगन रहेंगे
झंडे के रंगों के मायने सुलझाने में
और हमारे पैरों के नीचे
पथरा जायेगी प्यासी जमीन।
सिकुड़ते दिलों में
जगह पड़ेगी कम
तो एक एक कर के
सब घुसपैठिये निकाल बाहर किये जाएंगे
और देवताओं को रख दिया जायेगा
उनके पत्थरों के घरों में।
एक दिन प्रेम चला जायेगा
और रह जाएगा
सिर्फ देश।
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