The Original !!

As pointed out by anonymous in the comments to last post, those lines are actually the English translation of a part of the following. It has been penned by noted Urdu poet Faiz Ahmed Faiz who is credited with introducing political awareness in Urdu language for the first time.

सुबह-ए-आज़ादी

ये दाग़ दाग़ उजाला, ये शब गज़ीदा सहर
वो इन्तज़ार था जिसका, ये वो सहर तो नहीं

ये वो सहर तो नहीं जिस की आरज़ू लेकर
चले थे यार कि मिल जायेगी कहीं न कहीं
फ़लक के दश्त में तारों की आख़िरी मंज़िल
कहीं तो होगा शब-ए-सुस्त मौज का साहिल
कहीं तो जा के रुकेगा सफ़ीना-ए-ग़म-ए-दिल
जवाँ लहू की पुर-असरार शाहराहों से
चले जो यार तो दामन पे कितने हाथ पडे
दयार-ए-हुस्न की बे-सब्र ख़्वाब-गाहों से
पुकारती रहीं बाहें बदन बुलाते रहे
बहुत अज़ीज़ थी लेकिन रुख़-ए-सहर की लगन
बहुत क़रीं था हसीनान-ए-नूर का दामन
सुबक सुबक थी तमन्ना, दबी दबी थी थकन

सुना है हो भी चुका है फ़िराक़-ए-ज़ुल्मत-ए-नूर
सुना है हो भी चुका है विसाल-ए-मंज़िल-ओ-गाम
बदल चुका है बहुत अहल्-ए-दर्द का दस्तूर
निशात-ए-वस्ल हलाल-ओ-अज़ाब्-ए-हिज्र-ए-हराम
जिगर की आग नज़र की उमंग, दिल की जलन
किसी पे चारा-ए-हिज्राँ का कुछ असर ही नहीं
कहाँ से आई निगार-ए-सबा, किधर को गई
अभी चिराग़-ए-सर-ए-राह को कुछ खबर ही नहीं
अभी गरानि-ए-शब में कमी नहीं आई
नजात-ए-दीदा-ओ-दिल की घड़ी नहीं आई
चले चलो कि वो मंज़िल अभी नहीं आई

For those who are having problem in viewing the Devanagari content, you can read the Roman transliterated version.

Comments

Jaya said…
Is it the unicode in your posts, that I see as a series of question marks? "???????????????"
Unknown said…
Actually , eeven I can't see the post. Some fonts problem I guess.
Ravi Handa said…
Well,
I can see the post and in one word... BEAAAAAAAUTTIIFUL
abhaga said…
Jaya, Manish: What browser are u using? This is in Unicode, so both IE and Mozilla should display it without problems. In the meantime u can enjoy at the link that I have included in the post.
Handa: yeah I liked it too but the english translation kind of brings back memories :)
Anonymous said…
Poetry feels so much better in urdu than in english( not referring to the script, i had to read the tranliteration :-) )
Nice piece.....
T
Unknown said…
It's good one, Abhaya.

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