थके थके से कदम !!
थके थके से कदम दिल का बोझ सहते हैं ,
ज्यों लद के फूल से दरख्त झुके रहते हैं ।
कभी उदास हो कर दिल भी हमसे कहता है,
बातें वही जो सब दुनिया के लोग कहते हैं ।
दीवाने दिल के हाथों इस तरह मजबूर हैं कुछ,
गुनाह कर नही सकते, सज़ायें सहते हैं ।
कभी छलके थे मेरी आंख से जो दो आंसू,
अब हर एक शख्स की आंखों से देखो बहते हैं ।
ज्यों लद के फूल से दरख्त झुके रहते हैं ।
कभी उदास हो कर दिल भी हमसे कहता है,
बातें वही जो सब दुनिया के लोग कहते हैं ।
दीवाने दिल के हाथों इस तरह मजबूर हैं कुछ,
गुनाह कर नही सकते, सज़ायें सहते हैं ।
कभी छलके थे मेरी आंख से जो दो आंसू,
अब हर एक शख्स की आंखों से देखो बहते हैं ।
Comments
par ek pankti likh kar hi kagaz ke tukde kar dete hain
kuch lay nahin mil pata, kuch rang nahin jam pata
kuch baat nahin ban pati, agli pankti likhne se darte hain
thak haar ke aayne mein soorat ko jab apni dekhte hain
kahan kami reh gayi hai, betaab hoke use jab dhoonte hain
dil kehta hai tab "moorakh! kavi banne chala hai!
chane ke ped par aam kabhi hote hain?"
hatash aur niraash, apne aap se khafa
wapas aakar Internet par blog ko aapke padhte hain.
esliye shayad ye thakey thakey se kadam dil ke har bojha sahte hain.