आज मैं खो जाऊं कहीं !
पंख लग जायें मेरे, आज मैं उड जाऊं कहीं,
राह खो जायें सभी, मोड वो मुड जाऊं कहीं ।
हवाओं वक्त हुआ अब यहां से चलने का,
पडा रहा तो इस ज़मीं से जुड ना जाऊं कहीं ।
ना पानी डाल बुझा खाकज़दा शोलों को,
बने जो जान पर, फ़िर से दहक ना जाऊं कहीं ।
लो आग भर दो मेरे दिल मे, जलन आंखों मे,
मैं चार पल के सुकूं मे बहक ना जाऊं कहीं ।
किया है जब से घर सागर सी उनकी आंखों मे,
यही है डर मैं अभागा, छलक न जाऊं कहीं ।
Comments
great work :)
nice poem..nice expression.. cud have written more though..n yet..beautiful!!
-himanshu
Kaphi dino ke baad aaya, par dil khus ho gaya bhai aaj tera 'kho jana' padhkar.
Wah bhai wah !