साथी
मृत्यु के झंझावतों के पार का व्यवहार साथी,
हाथ मैं जोडूं तो समझो कर रहा व्यापार साथी ।
मंदिरों मे घंटियां और महफ़िलों मे तालियां,
है अलग मुद्रा मगर दोनो जगह बाज़ार साथी ।
शाम सिंदूरी, हवा ठंडी, गिरे पत्ते, धुआं सा,
आज फ़िर तेरी कमी लगने के हैं आसार साथी ।
है नजर का पेंच ये, मिलती नही धरती गगन से
हमने कितनी बार झांका है क्षितिज के पार साथी।
मन की आशायें, नयन के स्वप्न, जीवन लक्ष्य तुमको
हैं समर्पित, तुच्छ सी ये भेंट हो स्वीकार साथी।
चंद किस्से, चंद नगमे भर के दामन मे अभागे,
चल पडे हैं बांध कर दिल से तुम्हारा प्यार साथी।
हाथ मैं जोडूं तो समझो कर रहा व्यापार साथी ।
मंदिरों मे घंटियां और महफ़िलों मे तालियां,
है अलग मुद्रा मगर दोनो जगह बाज़ार साथी ।
शाम सिंदूरी, हवा ठंडी, गिरे पत्ते, धुआं सा,
आज फ़िर तेरी कमी लगने के हैं आसार साथी ।
है नजर का पेंच ये, मिलती नही धरती गगन से
हमने कितनी बार झांका है क्षितिज के पार साथी।
मन की आशायें, नयन के स्वप्न, जीवन लक्ष्य तुमको
हैं समर्पित, तुच्छ सी ये भेंट हो स्वीकार साथी।
चंद किस्से, चंद नगमे भर के दामन मे अभागे,
चल पडे हैं बांध कर दिल से तुम्हारा प्यार साथी।
Comments
आज फ़िर तेरी कमी लगने के हैं आसार साथी ।
Senti kar diya :-) Beautiful!