यादों की माला के मनके खोते जाएंगे, हम खुद से हर रोज़ बेगाने होते जाएंगे। मिलना जुलना, हंसना रोना, दुनिया भर के हिज्जे, रफ्ता रफ्ता सब अफ़साने होते जाएंगे। "आते हैं उस तरफ कभी तो तुमसे मिलते हैं", न मिलने के यूँही बहाने होते जाएंगे। इंक़लाब की बू है अब पुर-कैफ हवाओं में, बेवजह ही लोग दीवाने होते जाएंगे। भिंची मुट्ठियों, उठे कदम, लहराती बाहों से, बिछड़े साथी का हम साथ निभाते जाएंगे। गले नही ल गते हैं, अब बस हाथ मिलाते हैं, यार अभागा सभी सयाने होते जाएंगे।
छूटे कोई दीन दुखी ना, सबको करो शुमार लिखो, दबी हुई चीखों को बुन कर, कर्कश इक ललकार लिखो। धरम जो पूछे शरणागत का, जात जो पूछे साधो की, हिंदुस्तानी दिल ऐसा भी हुआ नहीं लाचार लिखो। लिखने दो उनको BSE, NSE और GDP, तुम आम आदमी की जेबों में बची चवन्नी चार लिखो। इस शोर शराबे में सहमा सा सच जो तुमको मिल जाए, एक बार लिखो, दस बार लिखो, तुम उसको बारम्बार लिखो। है वक़्त अभी कुछ कहने का, है वक़्त नहीं चुप रहने का, नफरत के तूफानों में घिरते, इंसानों को प्यार लिखो। सुनो अभागा बदल गए हैं यहाँ मायने शब्दों के, देशभक्त ऐसे हैं गर तो, खुद को तुम गद्दार लिखो।
[ With due apologies to Philip K. Dick ] For some days now, every morning I find a bunch of emails in my inbox from some friends who are graduating from IIT this year and the mails bring back so many memories, happy and sad !! It was around 2 years back when I was also busy writing such mails to all the people I knew. The world still seemed very small and every fellow IITian a close friend. It was beyond imagination that I wouldn't keep in touch with that guy living at the end of my wing whom I hardly had any interaction with. I wanted to get every address, every phone number, every email id. Yahoo groups were formed, mailing lists were created and with all the fan fare we marched out to the real world. And yes ! I also got all those "Friends' " episodes, all those songs, all those movies. How could I ever live without them? Today after 2 years, I have never talked to or mailed to R, my roommate for 3 years. I have little idea how M is doing,my next door neighbour for
Comments
http://www.youtube.com/watch?v=LROP8lA0uL0