छूटे कोई दीन दुखी ना, सबको करो शुमार लिखो, दबी हुई चीखों को बुन कर, कर्कश इक ललकार लिखो। धरम जो पूछे शरणागत का, जात जो पूछे साधो की, हिंदुस्तानी दिल ऐसा भी हुआ नहीं लाचार लिखो। लिखने दो उनको BSE, NSE और GDP, तुम आम आदमी की जेबों में बची चवन्नी चार लिखो। इस शोर शराबे में सहमा सा सच जो तुमको मिल जाए, एक बार लिखो, दस बार लिखो, तुम उसको बारम्बार लिखो। है वक़्त अभी कुछ कहने का, है वक़्त नहीं चुप रहने का, नफरत के तूफानों में घिरते, इंसानों को प्यार लिखो। सुनो अभागा बदल गए हैं यहाँ मायने शब्दों के, देशभक्त ऐसे हैं गर तो, खुद को तुम गद्दार लिखो।
Comments
They should do something to the site though, looks like a Porn site.